एक, दो, तीन नहीं बल्कि 40 बार से अधिक चीन के राष्ट्रपति से मिले हैं पुतिन, जानें भारत का क्या है नुकसान?
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एक, दो, तीन नहीं बल्कि 40 बार से अधिक चीन के राष्ट्रपति से मिले हैं पुतिन, जानें भारत का क्या है नुकसान?

Putin arrives in China: यूक्रेन जंग के बीच रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन चीन पहुंच चुके हैं, पुतिन का यह दौरा दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. रूस और चीन के बीच दोस्‍ती जहां बढ़ रही है, वहीं अमेरिका-भारत समेत कई देशों की नजर इस मुलाकात पर भी है. एक साल से भी कम समय में यह पुतिन की बीजिंग की दूसरी यात्रा है, और पांचवीं बार राष्ट्रपति बनने के बाद पहली विदेश यात्रा है.

एक, दो, तीन नहीं बल्कि 40 बार से अधिक चीन के राष्ट्रपति से मिले हैं पुतिन, जानें भारत का क्या है नुकसान?

Russian president Vladimir Putin meets Xi Jinping: पांचवी बार राष्ट्रपति बनने के बाद रूस के राष्टपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को बीजिंग पहुंचे. पुतिन ने सबसे पहले अपने समकक्ष और पुराने दोस्त शी जिनपिंग से मुलाकात की. पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब यूक्रेन समेत पश्चिम में संघर्ष की स्थिति है. ये कहीं न कहीं मॉस्को और बीजिंग के बीच गहरे होते संबंधों का बड़ा संकेत है.

पहली विदेश यात्रा
अपने पांचवें कार्यकाल की शुरुआत के बाद से यह पुतिन की पहली विदेश यात्रा है. एक साल से भी कम समय में यह पुतिन की बीजिंग की दूसरी यात्रा है. यह यात्रा सोवियत संघ द्वारा मान्यता प्राप्त होने के 75 साल पूरे होने का जश्न भी मनाएगी. 

पुतिन का जबरदस्त स्वागत
पुतिन जब चीन पहुंचे तो उनका जबरदस्त तरीके से स्वागत किया गया. उनके लिए गुरुवार को तियानमेन स्क्वायर के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में एक भव्य स्वागत समारोह का आयोजन भी हुआ जिसमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सदस्य ध्यान से खड़े थे और कई तोपों की सलामी दी गई.  

रूस और चीन में बढ़ रही दोस्ती
समाचार एजेंसी डीपीए की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान वो चीन के साथ कई समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. शी जिनपिंग ने भी अपना तीसरा कार्यकाल शुरू करने के बाद पहला दौरा रूस का किया था. दोनों परमाणु शक्तियों के बीच घनिष्ठ आर्थिक संबंध हैं.

दोनों राष्ट्रपति 40 से अधिक बार हैं मिले
गुरुवार को टेलीविजन पर प्रसारित टिप्पणियों में शी ने बताया कि दोनों 40 से अधिक बार मिल चुके हैं, उनका कहना था कि चीन-रूस संबंध एक बेहतर दिशा में बढ़ रहा है,  "अपनी नई यात्रा में हम अच्छे पड़ोसी, विश्वसनीय मित्र और विश्वसनीय भागीदार बने रहने का इरादा रखते हैं, अपने दोनों देशों के बीच संबंधों को लगातार मजबूत करते हुए, अंतर्राष्ट्रीय समानता की रक्षा करते हुए हम सब आगे बढ़ेंगे. 

पुतिन ने की तारीफ 
उधर मुलाकात के दौरान पुतिन ने पुतिन ने कहा कि वह अपने दोस्तों के बीच आकर खुश हुए हैं.  उन्होंने कहा, "रूस और चीन के बीच संबंध स्थिति से प्रेरित और किसी के लिए लक्षित नहीं हैं." "हम एक साथ समानता, निष्पक्षता और एक विश्व व्यवस्था के सिद्धांतों के लिए खड़े हैं जो बहुध्रुवीय वास्तविकता को दर्शाता है." दोनों देशों के बीच कई मामलों पर समझौता होना है, जिसपर पूरी दुनिया की नजर बनी हुई है.

रूस का क्या है चीन से फायदा
रूसी नेता की दो दिवसीय चीन यात्रा तब हो रही है जब उनके देश की सेना ने पूर्वोत्तर यूक्रेन के खार्किव क्षेत्र में आक्रामक अभियान चलाया है, जो पिछले सप्ताह शुरू हुआ था, जो पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू होने के बाद से सबसे महत्वपूर्ण है, जिससे लगभग 8,000 लोगों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.

स्वतंत्र रूसी राजनीतिक विश्लेषक कॉन्स्टेंटिन कलाचेव ने एएफपी को बताया, "अपने उद्घाटन के बाद पुतिन की यह पहली यात्रा है, और इसलिए इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि चीन-रूस संबंध एक और स्तर पर आगे बढ़ रहे हैं." "दोनों नेताओं के बीच स्पष्ट रूप से ईमानदार व्यक्तिगत मित्रता का उल्लेख नहीं किया गया है."

क्या रक्षा सहयोग के लिए हो रही यात्रा?
पुतिन की ये यात्रा ऐसे समय पर हो रही है, जब यूक्रेन में रूसी सेना आगे बढ़ती जा रही और नाटो देश सीधे जंग की चेतावनी दे रहे हैं. साथ पश्चिमी देश चीन पर आरोप लगा रहे हैं कि चीन युद्ध में इस्तेमाल होने वाला सामान भी रूस को भेज रहा है. इस दौरे में पुतिन के साथ एक हाई लेवल डेलीगेशन भी आया है, जिसमें नए रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव और पूर्व रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु, जो अब सुरक्षा परिषद के सचिव हैं शामिल हैं. इस यात्रा में रूस और चीन के बढ़ते रक्षा सहयोग पर भारी ध्यान केंद्रित होने की उम्मीद है.

चीन को क्या है फायदा?
यूक्रेन युद्ध के बाद रूस और चीन के बीच व्‍यापार बढ़ गया है,  चीन जमकर तेल और गैस रूस से खरीद रहा है और इसके बदले में उसे मशीनरी तथा अन्‍य सामानों की आपूर्ति कर रहा है. अभी पश्चिमी देशों ने इन सामानों की आपूर्ति रोक दी है. विश्‍लेषकों का कहना है कि चीन रूस के साथ अभी इसलिए मदद कर रहा है ताकि अगर वह ताइवान पर कोई कार्रवाई करे तो उसे मास्‍को का साथ मिल सके. उनका कहना है कि चीन का इरादा रूसी जमीन पर भी कब्‍जे का है लेकिन इससे पहले उसके निशाने पर भारत, फिलीपीन्‍स और जापान जैसे देश हैं.

भारत को क्या है नुकसान?
वैसे तो चीन हमेशा भारत की जमीन पर अपना दावा करता है, लेकिन इस मामले में रूस ने हमेशा भारत का ही पक्ष रखा है. रूस को भारत का काफी मजबूत दोस्त कहा जाता है, ऐसे में अगर चीन भारत के खिलाफ कोई कदम उठाने की कोशिश करता है तो रूस वहां भारत का पक्ष जरूर रखेगा. दोनों देशों के बीच क्या समझौते होते हैं, क्या नियम बनते हैं इस पर भारत की नजर तो होगी ही. 

रूस का भारत से अच्छे संबंध
भारत रूस पर पाबंदी के बावजूद बड़े पैमाने पर रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है. पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने रूस के साथ पारंपरिक दोस्ती पर आंच नहीं आने दी है.  ऐसे में पुतिन का चीन का दौरा रूस के व्यक्तिगत हितों के लिहाज से अहम है. भारत के हितों और उसके खिलाफ क्या होगा ये समय बताएगा.

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